आत्मसमर्पण की लहर और 'नक्सल-मुक्त छत्तीसगढ़' का लक्ष्य
छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ चल रहा संघर्ष अब एक निर्णायक मोड़ पर आ गया है। सुरक्षा बलों के आक्रामक अभियान और राज्य सरकार की नई, उदार आत्मसमर्पण नीति के चलते नक्सलियों के आत्मसमर्पण की संख्या में रिकॉर्ड तोड़ वृद्धि हुई है। इस उत्साहजनक बदलाव ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा निर्धारित मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ (और देश) को नक्सल मुक्त करने के लक्ष्य को साकार करने की उम्मीदों को मजबूत कर दिया है।
नवीनतम आत्मसमर्पण और कार्रवाई डेटा (जनवरी 2024 से अक्टूबर 2025 तक)
नवीनतम आंकड़े बताते हैं कि सुरक्षा बल न सिर्फ नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने का मौका दे रहे हैं, बल्कि उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई भी कर रहे हैं।
विवरण
जनवरी 2024 से अक्टूबर 2025 तक (लगभग)
आत्मसमर्पण 2100 से अधिक नक्सली (2025 में सबसे अधिक संख्या)
गिरफ्तार 1785 से अधिक नक्सली
मुठभेड़ में मारे गए 477 से अधिक नक्सली
बरामद हथियार 153
(स्रोत: सरकारी और पुलिस सूत्रों के आंकड़े)
हाल ही में (अक्टूबर 2025) में, उत्तरी बस्तर के अबूझमाड़ क्षेत्र में एक ही बार में 208 नक्सलियों ने 153 हथियारों के साथ आत्मसमर्पण किया, जो दर्शाता है कि नक्सलियों के गढ़ अब कमजोर पड़ रहे हैं।
नक्सलवाद को कमजोर करने वाले मुख्य कारक
आत्मसमर्पण में आई तेजी केवल एक संयोग नहीं है, बल्कि यह केंद्र और राज्य सरकार की बहु-आयामी रणनीति का परिणाम है, जिसमें निम्नलिखित कारक प्रमुख हैं:
1. नई नक्सल आत्मसमर्पण नीति 2025 (Punishment-to-Redemption Model)
छत्तीसगढ़ सरकार ने 'नक्सल आत्मसमर्पण नीति-2025' घोषित की है, जो आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को अभूतपूर्व प्रोत्साहन देती है। इस नीति के तहत:
- बड़ी नकद राशि: स्वचालित हथियारों के साथ समर्पण करने पर ₹5 लाख तक की राशि।
- आवास और भूमि: समर्पण करने वाले नक्सलियों को ज़मीन और आवास की सुविधा।
- शिक्षा और कानूनी सहायता: बच्चों को 18 वर्ष तक मुफ्त शिक्षा और कानूनी सहायता।
- लोण वर्राटू (घर लौट आओ) अभियान: यह अभियान बस्तर में आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित करने में महत्वपूर्ण रहा है।
2. सुरक्षा बलों का आक्रामक अभियान और रणनीतिक उपस्थिति
- ऑपरेशन 'ब्लैक फॉरेस्ट' और 'प्रहार': सुरक्षाबलों ने दुर्गम क्षेत्रों में आक्रामक अभियान चलाए हैं, जिससे नक्सली नेतृत्व को भारी नुकसान हुआ है।
- नए कैंप: नक्सलियों के कोर क्षेत्रों में, जैसे अबूझमाड़, में 28 से अधिक नए सुरक्षा कैंप खोले गए हैं। इससे सुरक्षाबलों की प्रशासनिक पहुँच और खुफिया जानकारी मजबूत हुई है।
- शीर्ष नेताओं का खात्मा: ₹1.50 करोड़ के इनामी शीर्ष नक्सली नेता नंबाला केशव राव जैसे बड़े कमांडरों का मारा जाना, संगठन की रीढ़ को तोड़ रहा है।
3. विकास कार्य और प्रशासनिक पहुंच
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सड़क, स्वास्थ्य और संचार परियोजनाओं की गति बढ़ी है। उत्तर-पश्चिम बस्तर को नक्सल-मुक्त घोषित किया जाना इस बात का प्रमाण है कि विकास और सुरक्षा का मॉडल प्रभावी रहा है।
मार्च 2026: एक यथार्थवादी लक्ष्य?
गृह मंत्री अमित शाह का 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने का लक्ष्य, वर्तमान डेटा और सफलताओं के आधार पर अब अधिक यथार्थवादी लगता है।
- सकारात्मक संकेत: आत्मसमर्पण की रिकॉर्ड दर और नक्सलियों के गढ़ माने जाने वाले क्षेत्रों का नक्सल-मुक्त घोषित होना स्पष्ट रूप से संगठन के बैकफुट पर जाने का संकेत है।
- चुनौतियाँ: हालांकि, बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर जैसे दक्षिण बस्तर के बचे हुए कुछ इलाके अब भी चुनौतियां पेश करते हैं, जहां मोस्ट वांटेड नक्सली नेता जैसे हिडमा अभी भी सक्रिय हैं।
निष्कर्ष: लगातार आत्मसमर्पण, कड़ी कार्रवाई और नई पुनर्वास नीति के चलते छत्तीसगढ़ सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। अगर यह गति और प्रशासनिक पहुँच बनी रहती है, तो मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ को 'नक्सल-मुक्त' बनाना एक संभव लक्ष्य है, बशर्ते बचे हुए कोर क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाए।
छत्तीसगढ़ नक्सलवाद: 10 अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. छत्तीसगढ़ को नक्सल मुक्त करने का आधिकारिक लक्ष्य कब तक का रखा गया है?
उत्तर: केंद्र और राज्य सरकार दोनों ने छत्तीसगढ़ (और पूरे देश) को नक्सलवाद से मुक्त करने का लक्ष्य 31 मार्च 2026 तक रखा है।
2. नक्सल आत्मसमर्पण की दर में हाल में कितनी वृद्धि हुई है? (नवीनतम डेटा के अनुसार)
उत्तर: जनवरी 2024 से अक्टूबर 2025 तक, छत्तीसगढ़ में 2100 से अधिक नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। अकेले 2025 में आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों की संख्या पिछले वर्षों की तुलना में सबसे अधिक रही है।
3. नक्सली आत्मसमर्पण में तेजी का मुख्य कारण क्या है?
उत्तर: इसके तीन मुख्य कारण हैं:
- नई आत्मसमर्पण नीति 2025: जिसमें ₹5 लाख तक की आर्थिक सहायता और पुनर्वास के आकर्षक पैकेज शामिल हैं।
- सुरक्षा बलों का दबाव: नक्सलियों के गढ़ों में नए सुरक्षा कैंपों की स्थापना और आक्रामक अभियान (जैसे 'ऑपरेशन प्रहार')।
- विकास कार्य: नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सड़क, पुल और संचार सुविधाओं का विस्तार।
4. 'नक्सल आत्मसमर्पण नीति 2025' के तहत आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली को क्या लाभ मिलते हैं?
उत्तर: इस नीति के तहत, आत्मसमर्पित नक्सली को स्वचालित हथियार के साथ समर्पण करने पर ₹5 लाख तक की प्रोत्साहन राशि, पुनर्वास के लिए ज़मीन/आवास, कानूनी सहायता और उनके बच्चों को 18 साल तक मुफ्त शिक्षा की सुविधा दी जाती है।
5. क्या हाल ही में किसी बड़े नक्सली नेता को मार गिराया गया है या उसने आत्मसमर्पण किया है?
उत्तर: हाँ। हाल ही में (मई 2025), ₹1.50 करोड़ के इनामी शीर्ष नक्सली नेता नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू को मुठभेड़ में मार गिराया गया। शीर्ष नेतृत्व का खात्मा संगठन को कमजोर करने में महत्वपूर्ण रहा है।
6. 'लोण वर्राटू' अभियान क्या है, और इसका आत्मसमर्पण पर क्या प्रभाव पड़ा है?
उत्तर: 'लोण वर्राटू' का अर्थ गोंडी भाषा में 'घर लौट आओ' है। यह अभियान मुख्य रूप से बस्तर क्षेत्र में चलाया गया है, जिसके तहत नक्सलियों से मुख्यधारा में लौटने की अपील की जाती है। इस अभियान से प्रेरित होकर बड़ी संख्या में नक्सलियों ने हिंसा का रास्ता छोड़ा है।
7. छत्तीसगढ़ के किन क्षेत्रों को नक्सल-मुक्त या काफी हद तक प्रभावित-मुक्त घोषित किया गया है?
उत्तर: छत्तीसगढ़ के उत्तरी बस्तर और अबूझमाड़ के कई क्षेत्रों को हाल ही में नक्सल प्रभाव से मुक्त घोषित किया गया है, जहाँ अब सुरक्षा बलों ने अपनी स्थायी उपस्थिति बना ली है।
8. मार्च 2026 तक नक्सल मुक्त होने के रास्ते में सबसे बड़ी चुनौती क्या है?
उत्तर: सबसे बड़ी चुनौती दक्षिण बस्तर (विशेष रूप से बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर) के शेष कोर क्षेत्रों में मौजूद है, जहाँ कुछ शीर्ष नक्सली कमांडर (जैसे हिडमा) अब भी सक्रिय हैं।
9. नक्सलवाद को समाप्त करने की रणनीति में केवल आत्मसमर्पण नीति ही है या कुछ और भी?
उत्तर: नक्सलवाद को समाप्त करने की रणनीति बहुआयामी है। इसमें शामिल हैं:
- आत्मसमर्पण और पुनर्वास (Soft Power)
- आक्रामक सुरक्षा ऑपरेशन (Hard Power)
- बुनियादी ढांचा विकास और प्रशासन की पहुँच
10. जनवरी 2024 से अक्टूबर 2025 के बीच कितने नक्सली मारे गए और कितने गिरफ्तार हुए हैं?
उत्तर: इस अवधि के दौरान, सुरक्षा बलों ने 477 से अधिक नक्सलियों को मार गिराया है, जबकि 1785 से अधिक नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है। यह आंकड़ा नक्सली संगठन पर बढ़ते दबाव को दर्शाता है।
